BA Semester-5 Paper-2 Physical Education - Kinesiology and Biomechanics in Sports - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 शारीरिक शिक्षा - खेलों में पेशीगति विज्ञान एवं जैव यान्त्रिकी - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 शारीरिक शिक्षा - खेलों में पेशीगति विज्ञान एवं जैव यान्त्रिकी

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2806
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 शारीरिक शिक्षा - खेलों में पेशीगति विज्ञान एवं जैव यान्त्रिकी - सरल प्रश्नोत्तर

अध्याय - 1

पेशीय विज्ञान :
अर्थ, परिभाषाएँ, लक्ष्य, उद्देश्य एवं खेल में महत्व

(Kinesiology :
Meaning, Definitions, Aims,
Objectives and Importance in Sports)

प्रश्न- किन्सियोलॉजी (Kinesiology) क्या है? इसके लक्ष्य एवं उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।

अथवा
शारीरिक शिक्षा में किन्सियोलॉजी की भूमिका बताइए।
अथवा
प्राणी गतिकी विज्ञान को परिभाषित कीजिए। इसके उद्देश्य को सविस्तार बताइये व पेशीय गतिविज्ञान का शारीरिक शिक्षा एवं खेलकूद में महत्त्व हैं?
अथवा
गतिविज्ञान (पेशीय विज्ञान) का अर्थ, परिभाषा एवं पेशियों की भूमिका स्पष्ट कीजिये।
अथवा
प्राणि गति की विज्ञान को परिभाषित कीजिए और इसका शारीरिक शिक्षा के अध्यापक के लिए महत्व बताइए।
अथवा
किन्सियोलॉजी की परिभाषा देते हुये उसके लक्ष्य एवं उद्देश्यों को लिखिए।
अथवा
प्राणिगतिकी विज्ञान की आवश्यकता एवं महत्व बताइये।

उत्तर -

पेशीय विज्ञान
(Kinesiology)

पेशीय विज्ञान विषय लगभग उतना ही पुराना है जितना कि इतिहास का लेखबद्ध होना है प्राचीन ग्रीक के एक महान वैज्ञानिक अरस्तू को पेशीय विज्ञान का जनक कहा जाता है क्योंकि वे ही प्रथम व्यक्ति हैं जिनके द्वारा इसके अध्ययन किये जाने का अभिलेख मिलता है। उन्होंने ही इस विषय को समझाया तथा मानव यांत्रिकी सिद्धान्तों का उसके निष्पादन से सम्बन्ध स्थापित किया। उन्हीं को मनुष्य के शरीर की यांत्रिकता के उपयोग सम्बन्धी विचारों की श्रृंखलाओं को प्रारम्भ करने का श्रेय जाता है जिससे हमें वर्तमान के यांत्रिक विश्लेषण के ज्ञान का आभास होता है। ईसा के जन्म के 300 वर्ष पूर्व अरस्तू ने गुरुत्वाकर्षण केन्द्र को समझाने में उल्लेखनीय प्रदर्शन प्रस्तुत किया। उन्होंने गुरुत्वाकर्षण के नियमों एवं गति तथा उत्तोलक (लीवर) के सिद्धान्तों को भी प्रतिपादित किया।

ग्रीस के दूसरे वैज्ञानिक आर्कमिडीज ने द्रव यांत्रिकी के सिद्धान्तों का विकास किया। उन्होंने दो भारी वस्तु के पानी पर तैरने को परिभाषित किया है। एक घिरी पुली की व्यवस्था के द्वारा उसमें यांत्रिक लाभ पर जोर देते हुए उसकी उपयोगिता दर्शाते हुए कहा है कि अन्तरिक्ष खड़े होने के लिए एक स्थान तो दे दो मैं इस धरती को भी हिला सकता हूँ।

क्लाउडिकस गोलन एक रोमन काय चिकित्सक थे। उन्हें रोम के पहलवानों की टीम का पहला चिकित्सक माना गया है। इनको खुले सामरिक मुकाबलों में मानवीय शरीर के अंगों को खुले रूप में अवलोकन करने का अवसर मिला था। और इसने आगे चलकर इससे सम्बन्धित मानव एनाटॉमी तथा फीजियालॉजी का ज्ञान प्राप्त करते हुए गतिविज्ञान का अध्ययन किया। समय के साथ गुजरने के साथ-साथ दूसरे बहुत से वैज्ञानिक इस महत्त्वपूर्ण तथ्य में और तथ्यों को जोड़ते गये। यही इस विषय को बनाने में सहायक बना जिसे हम पेशीय विज्ञान के नाम से जानते हैं।

पेशीय विज्ञान/गति विज्ञान की परिभाषा तथा अर्थ

किनिसियोलॉजी शब्द ग्रीक भाषा के शब्द कापनेसिस से लिया गया है। जिसका अर्थ है गति तथा लोगेस। लोगेस शब्द का अर्थ ज्ञान अर्थात् किनिसियोलॉजी की मूलतः व्याख्या "गति के अध्ययन" से की जाती है। किनिसियोलॉजी विषय संगठित तथा विधिवत् ज्ञान से परिपूर्ण है इसीलिए इसे विज्ञान कहा गया है। क्योंकि मानवीय निष्पादन से जुड़ी गतियों के सम्बन्ध में इसमें विवेचन की जाती है। संक्षिप्त रूप में इसे मानव गतिविज्ञान का अध्ययन कहा जाता है।

पेशीय विज्ञान (गति विज्ञान) का सम्बन्ध चार प्रमुख ज्ञान के क्षेत्रों से लिया गया है-

1. एनाटॉमी
2. फिजियोलॉजी
3. भौतिक शास्त्र
4. गणित

मानव शरीर जो कि जटिल रचना है इस पर यांत्रिक तथा जीववैज्ञानिक दोनों नियम तथा सिद्धान्त लागू होते हैं।

किनिसियोलॉजी यांत्रिक पक्ष पर ज्यादा जोर देती है तथा आवश्यकतानुसार इसमें जीववैज्ञानिक कार्यक्रम भी जोड़े जाते हैं क्योंकि ये इनकी गतिविधियों से सीधा सम्बन्ध रखती है। इस प्रकार किनिसियोलॉजी शरीर की जीवविज्ञानी यांत्रिक रचना तथा गति से सम्बन्ध रखता है कि बहुत से खेल गतिविधियों में शरीर तथा उसके अंग सम्मिलित होते हैं। लेकिन ऐसे भी खेल निष्पादन हैं जिनमें गेंद, रैकिट, लोह के गोले, डिस्कस, भाला, हैमर, पोलवाल्ट आदि उपकरणों का भी उपयोग शरीर की गति के साथ होता है। हम जिन उपकरणों का उपयोग करते हैं इनका भी प्रभाव परफोर्मेन्स पर पड़ता है। अतः केनिसियोलॉजी उपकरणों के उपयोग के कारणों के प्रभावित करने से भी सम्बन्ध रखता है।

यह बल, घर्षण, गति, लीवर, लचकता, प्रोजेक्शन्स तथा छोड़ने के कोण आदि से भी सम्बन्धित है। संक्षिप्त में किनिलियोलॉजी में उपकरणों तथा वस्तुओं का उपयोग कर मानव निष्पादन का अध्ययन भी किया जाता है। इस प्रकार हम किनिसियोलॉजी में निष्पादन विश्लेषक तथा निष्पादन में सुधार सिद्धान्तों को ठीक ढंग से कैसे अपनाया जाय इसका अध्ययन करते हैं।

बेशक किनिसियोलॉजी उत्तम मानकीय क्षेत्र के ज्ञान पर आधारित है तो भी इनकी प्रकृति गतिशील है। मानव गति को हमारे कुछ सर्वोत्तम विचारकों ने आकृष्ट किया है। जिन्होंने उत्तम अध्यापन की ओर नई विधियों को खोजा कि आधारभूत सिद्धान्तों को निष्पादन में किस प्रकार लगाया जाए तथा समय मापक यंत्र टैनिसोमीटर्स, डायनामोमीटर्स, हाइस्पीड फोटो थिरैपी, टेलीविजन रिप्ले दी इलेक्ट्रोगोनियोमीटरर्स का उपयोग निष्पादन को और प्रभावी रूप से विश्लेषण के लिए किया जाता है। नए ज्ञान के इस प्रवाह ने बना दिया है। इससे विषय के आगे भी विकास जारी है। इससे इन्सान की मौजूद इच्छा शक्ति जिससे कि उसे अपनी परफोमेन्स सुधारने की लालसा है। इसने किनिसियोलॉजी का निरन्तर विकास क्रम जारी रखा है।

पेशीय विज्ञान का लक्ष्य एवं उद्देश्य

पेशीय विज्ञान मानव संचालनों का अध्ययन है। पेशीय विज्ञान का अध्ययन केवल एक आकर्षण क्षेत्र में रुचि जाग्रत करने के उद्देश्य से नहीं किया जाता। वेल्स के अनुसार पेशीय विज्ञान (किनिसिफेलॉजी) के निम्नलिखित उद्देश्य हैं-

1. समझ के लिए शिक्षण हेतु शारीरिक शिक्षा परीक्षण को आवश्यक साधन प्रदान करने के लिए।
2. संसाधन कौशलों में दक्षता हासिल करने में अपने छात्रों का मार्गदर्शन करने के लिए।
3. छात्र को स्वयं शरीर गठन में सुधार लाने में सहायता करना।

शारीरिक शिक्षक और परीक्षकों को शरीर के सभी बड़पेशियों समूह के बारे में व्यापक ज्ञान होना चाहिए। ताकि वह दूसरों को सिखा सकें और शरीर के इन अंगों को कैसे शक्तिशाली बनाया जा सकता है। इनमें सुधार लाया जा सकता है और इन्हें कायम रखा जा सकता है।

Rash and Burke के अनुसार व्यावहारिक स्तर का पेशीय विज्ञान एक व्यावसायिक साधन है। जिसे केवल एक कुशल कलापूर्ण चिकित्सक ही प्रभावकारी ढंग से इस्तेमाल कर सकता है और जो मूल विषय वस्तु का विश्लेषण है।

पेशियों की भूमिका - पेशी अथवा पेशी गुच्छा विभिन्न स्थितियों में संकुचित हो सकती है। पेशी में तेजी से विभिन्न भूमिकाओं को निभाने की तथा दूसरी अवस्थाओं में बदलने की योग्यता होती है। पेशियों की मुख्य चार भूमिकाएँ होती हैं। किसी भी दी हुई परिस्थितियों में एक खास कंकाल पेशी चार में से किसी भी भूमिका को निभा सकती है। वह शुरुआत से ही एक से दूसरी भूमिका बदल सकती है तथा गतीय निष्पादन के दौरान कोई भी खास पेशी अलग-अलग समय में विभिन्न भूमिकाओं में भाग ले सकती है। पेशी की भूमिका उसके द्वारा किये जा रहे कार्य से जानी जाती है क्योंकि शारीरिक निष्पादन के दौरान निर्धारित समय में होती है।

पेशियों में भूमिकाएँ निम्नलिखित हैं-

1. गति पैदा करने वाली भूमिका
2. एन्टागोनिस्ट भूमिका
3. स्टेबलाइजर भूमिका
4. न्यूट्रेलाइजर भूमिका

1. गति पैदा करने वाली भूमिका - पेशियाँ गतिशील होती हैं उनका समकेन्द्रित संकुचन शरीर के किसी भाग को वांछित गति प्रदान करने में योगदान देता है। उदाहरण के लिए कोहनी का फ्लैक्सन बाइसेप्स ब्रान्चील गतिमान है। कुछ पेशीय संधियाँ में से एक से अधिक गतियों को पैदा करती हैं और कुछ पेशियाँ एक से अधिक सन्धियों में गति पैदा करती हैं।

गतिमान पेशियों का वर्गीकरण निम्न प्रकार किया गया है-

1. प्राथमिक गति पैदा करने वाली पेशी
2. सहायक गति पैदा करने वाली पेशी

1. प्राथमिक गति पैदा करने वाली - इस पेशी का प्रमुख कार्य खास गति को पैदा करना है। सभी गति योग्यता सन्धियों के सहायक वाहक होते हैं।

2. सहायक गति पैदा करने वाली पेशी - यह वह पेशी है जोकि गति को सहारा देने की महत्त्वपूर्ण योगदान रखती है लेकिन उसका गति में योगदान का महत्त्व दूसरी श्रेणी का है अधिकतर संधियों के सहायक वाहक होते हैं।

2. एन्टागोनिस्ट भूमिका - गति को सम्पन्न कराने के लिए जब पेशियाँ फैलती हैं तो उस पेशी की गति प्रतिस्पर्धा होती है। प्रभावोन्मुख पेशी द्वारा पैदा की गई गति के विरुद्ध प्रतिस्पर्धा पेशी प्रतिक्रिया करती है। बाइसेप्स तथा ट्रायसेप्स एक-दूसरे के प्रतिस्पर्धा है गतीय निष्पादन में यह महत्त्वपूर्ण है कि प्रतिस्पर्धा से पेशियाँ सही परिणाम में फैलाव पैदा कर प्रभावी तथा सहज गति को नियंत्रित करें। यह न्यूरोमरस्क्युकल समन्वय का एक महत्त्वपूर्ण पहलू है। उदाहरण के लिए कोहनी के फैलाव के लिए ट्रायसेप्स ब्रान्चील प्रतिरोधी प्रभाव उत्पन्न करती है। इसका अर्थ यह है कि ट्रायसेप्स इस प्रकार फैलती है कि वे बाईसेप्स को संकुचित करते हैं। इस प्रकार कोहनी की संधि का फ्लैक्सन क्षमतापूर्वक पैदा होता है तथा इसी प्रकार बाईसेन्स की भूमिका ट्रायसेप्स को बदलते हुए अब कोहनियों की सन्धि फ्लैक्सन के बाद पैदा होती है।

3. स्टेब्लाइजर भूमिका - शरीर के किसी खास भाग की गति के लिए शरीर के समकक्ष भाग जिस पर गति होनी है उनमें सही परिणाम में स्थायित्व का मौजूद होना आवश्यक है। उदाहरण के लिए जब कन्धे की संधियों पर बाहें घूमती हैं तो कन्धे की हड्डी मजबूती से संकुचित होकर किसी निश्चित पेशी के साथ जुड़ी होती हैं। यदि कन्धे की सन्धि के साथ बाहों पर लग रहे बल के प्रभाव को घटा देगी। जब कोई पेशी स्थिरता पैदा करने वाली क्रिया करती है तो सामान्यतया यह संकुचन होता है। इसका सर्वोत्तम उदाहरण है दण्ड लगाते वक्त उदर की पेशियाँ। यदि ये पेशियाँ आसानी से स्थिरता से संकुचित नहीं होती हैं तो वह झुक जायेगा अर्थात् पेशियों का मुख्य योगदान सन्धियों को स्थायित्व प्रदान करना है जबकि यह एक तन्तु मात्र है जोकि हड्डियों की सन्धियों को एकसाथ बाँधता है।

4. न्येट्रेलाइजर भूमिका - जब कोई पेशी एक या एक से अधिक पेशियों के बीच संतुलन पैद करती है तो उसकी भूमिका न्यूट्रीलाइज की होती है इसे नलीफाइस करना भी कहते हैं एक दूसरे को न्यूटलायज करने के लिये दो पेशियों के द्वारा बराबर एवं विपरीत दिशा में गति करना होता है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- किन्सियोलॉजी (Kinesiology) क्या है? इसके लक्ष्य एवं उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- पेशीय विज्ञान के सिद्धान्त एवं लाभ का वर्णन कीजिए।
  3. प्रश्न- अंग संचालन विज्ञान से आप क्या समझते हैं? इसकी आवश्यकता एवं महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
  4. प्रश्न- किन्सियोलॉजी पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिये।
  5. प्रश्न- शारीरिक शिक्षा में किनिसियोलॉजी की भूमिका स्पष्ट कीजिये।
  6. प्रश्न- पेशीय विज्ञान का शारीरिक शिक्षा में लाभ क्या है? स्पष्ट कीजिये।
  7. प्रश्न- पेशियों की भूमिका से क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिये।
  8. प्रश्न- पेशीय विज्ञान (गतिविज्ञान) से क्या समझते हो? स्पष्ट कीजिये।
  9. प्रश्न- पेशियों का विकास किन सिद्धान्तों को ध्यान में रखकर किया जाता है? प्रकाश डालिए।
  10. प्रश्न- अंग संचालन विज्ञान की आवश्यकता एवं महत्त्व का वर्णन कीजिए।
  11. प्रश्न- आधारभूत गतियों को विस्तार से स्पष्ट कीजिए।
  12. प्रश्न- शारीरिक शिक्षा में गति के नियम व उनका शारीरिक क्रियाओं में उपयोग स्पष्ट कीजिए।
  13. प्रश्न- आधारीय गतियों को समझाइए।
  14. प्रश्न- गति विज्ञान के नियम का वर्णन कीजिए।
  15. प्रश्न- प्रतिक्रिया एवं संवेग के नियम का उल्लेख कीजिए।
  16. प्रश्न- गुरुत्व केन्द्र व गुरुत्व रेखा पर टिप्पणी लिखिये।
  17. प्रश्न- अक्ष एवं तल पर टिप्पणी लिखिये ?
  18. प्रश्न- शारीरिक क्रियाओं के उदाहरण के साथ परिभाषाएँ लिखिये। अथवा स्तर पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  19. प्रश्न- अक्ष या धुरी पर टिप्पणी लिखिये।
  20. प्रश्न- अक्ष और तल में क्या संबंध है ? इनका उपयोग किसलिये होता है?
  21. प्रश्न- तल कितने प्रकार का होता है?
  22. प्रश्न- अक्ष को अन्य किस नाम से जानते हैं ? इसके प्रकार बताइए।
  23. प्रश्न- शरीर में पाये जाने वाली संधियों का सचित्र वर्णन कीजिए।
  24. प्रश्न- मांसपेशी से आप क्या समझते हैं? मांसपेशियों के प्रकार का वर्णन कीजिए।
  25. प्रश्न- अस्थि पिंजर पेशियों के वर्गीकरण का वर्णन कीजिए।
  26. प्रश्न- सारटोरिअस और क्वाड्रीसेप्स पेशियों पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
  27. प्रश्न- मानव शरीर की किन्हीं दो माँसपेशियों का चित्र बनाकर खेलों में उनकी कार्यप्रणाली को समझाइए।
  28. प्रश्न- सन्धियों की गति की संक्षिप्त विवेचना कीजिये।
  29. प्रश्न- स्थिर जोड़ तथा मामूली हिलन योग्य जोड़ पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  30. प्रश्न- पेशीय संकुचन से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिये।
  31. प्रश्न- डेल्टाइड पेशी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  32. प्रश्न- निम्नलिखित मांसपेशीय के समीपस्थ एवं दूरस्थ जोड़ लिखिए -(i)बाईसेप्स, (ii)हैमस्ट्रिंग, (iii) गैस्ट्रोनोमिनिस।
  33. प्रश्न- मांसपेशी के समीपस्थ एवं दूरस्थ जोड़ लिखिए।
  34. प्रश्न- माँसपेशीय संकुचन को वर्गीकृत कीजिये।
  35. प्रश्न- ऐच्छिक माँसपेशियों के महत्वपूर्ण तत्व और कार्यविधि का वर्णन कीजिये।
  36. प्रश्न- अनैच्छिक मांसपेशियों के प्रमुख तत्वों का वर्णन कीजिये।
  37. प्रश्न- हृदय के मुख्य तत्व कौन-से हैं ? इसके मुख्य कार्य संक्षेप में बताये।
  38. प्रश्न- ऐच्छिक पेशी और अनैच्छिक पेशी में क्या अन्तर है ?
  39. प्रश्न- ऐच्छिक पेशी और अनैच्छिक पेशी और हृदय पेशी में क्या अन्तर हैं स्पष्ट कीजिये ?
  40. प्रश्न- मानव शरीर का माँसपेशी सिस्टम क्या है ? इसका वर्गीकरण कीजिये।
  41. प्रश्न- ऊपरी अग्रांग ( Upper Extremity) से आप क्या समझते हैं ? संक्षिप्त व्याख्या कीजिये।
  42. प्रश्न- निचले अग्रांग की सम्पूर्ण शृखंला को समझाये। इसका विस्तार से उल्लेख कीजिये।
  43. प्रश्न- कन्धे के जोड़ (Shoulder Joints) से आप क्या समझते हैं ?
  44. प्रश्न- एल्बो ज्वाइंट (कोहनी के जोड़) से आपका क्या अभिप्राय है संक्षेप में बताये?
  45. प्रश्न- गर्दन की गतिविधियाँ संरचना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखे।
  46. प्रश्न- मानव शरीर में धड़ का क्या महत्व है ?
  47. प्रश्न- कूल्हे का जोड़ (Hip Joint) पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये-
  48. प्रश्न- घुटने के जोड़ की संरचना समझाये।
  49. प्रश्न- कुहनी के जोड़ से आपका क्या अभिप्राय है?
  50. प्रश्न- न्यूटन के गति विषय नियम की उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
  51. प्रश्न- चाल के न्यूटन के सिद्धान्तों को समझाइए एवं उदाहरण सहित इन सिद्धान्तों की खेलकूद में उपयोगिता बताइए।
  52. प्रश्न- न्यूटन के गति के तीसरे नियम को उदाहरण सहित समझायें।
  53. प्रश्न- क्रिया-प्रतिक्रिया के नियम का उल्लेख कीजिए।
  54. प्रश्न- त्वरण के नियम सम्बन्धी सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  55. प्रश्न- न्यूटन के प्रथम नियम (जड़त्व का नियम) पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये
  56. प्रश्न- न्यूटन के गति के नियम से क्या अभिप्राय है ?
  57. प्रश्न- घर्षण का अर्थ और प्रकार का वर्णन कीजिये।
  58. प्रश्न- बल से आप क्या समझते हैं? खेल कौशल प्रदर्शित करते समय बल का प्रभावी उपयोग किस प्रकार किया जा सकता है? उदाहरण सहित समझाइये।
  59. प्रश्न- घर्षण बल से आप क्या समझते हैं? खेलकूद में घर्षण के सिद्धान्तों का प्रयोग स्पष्ट कीजिए।
  60. प्रश्न- खेल खिलाड़ियों में बल और बल आघूर्ण के महत्त्व को बताइए।
  61. प्रश्न- बल से आप क्या समझते हैं ? बल के प्रकारों की व्याख्या करते हुए खेलों में इसका प्रभावी उपभोग किस प्रकार किया जा सकता है ?
  62. प्रश्न- बल की परिभाषा दीजिए। बल के प्रभाव तथा स्त्रोतों का वर्णन कीजिए।
  63. प्रश्न- बल के सिद्धान्त से आप क्या समझते हैं? बल के सामान्य सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
  64. प्रश्न- बल का मात्रक क्या है? उल्लेख कीजिए।
  65. प्रश्न- अभिकेन्द्रीय बल से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  66. प्रश्न- अपकेन्द्रीय बल पर टिप्पणी लिखिये।
  67. प्रश्न- चुम्बकीय बल या दबाव के बल पर प्रकाश डालिए।
  68. प्रश्न- अपकेन्द्रित बल के सिद्धान्त का उल्लेख कीजिए।
  69. प्रश्न- उत्तोलक को परिभाषित करते हुए वर्गीकरण कीजिए और उचित उदाहरण की सहायता से खेल में इसके उचित उपयोग को बताइए।
  70. प्रश्न- उत्तोलन दण्ड की कृतियों की विवेचना कीजिए।
  71. प्रश्न- "मानव शरीर एक उत्तोलक के रूप में कार्य करता है "इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
  72. प्रश्न- लीवर की यांत्रिक सहायता पर टिप्पणी लिखिये।
  73. प्रश्न- खेल उपकरण का लीवर के रूप में उपयोग बताइये।
  74. प्रश्न- प्रथम श्रेणी के उत्तोलक की परिभाषा दीजिए।
  75. प्रश्न- उत्तोलक की भुजा व प्रकार लीजिए।
  76. प्रश्न- Ist क्लास लीवर और III rd क्लास लीवर पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  77. प्रश्न- उत्तोलक से क्या अभिप्राय है। यह कितने प्रकार का होता है ?
  78. प्रश्न- सरल मशीन से क्या अभिप्राय है? यह कितने प्रकार की होती हैं?
  79. प्रश्न- उत्तोलक (लीवर) का मानव शरीर में क्या प्रयोग है?
  80. प्रश्न- शुद्ध गतिकी में चाल, वेग, त्वरण, दूरी और विस्थापन को परिभाषित कीजिये
  81. प्रश्न- गतिकी से संबंधित प्रमुख तथ्य कौन-से हैं ?
  82. प्रश्न- आदिश और सदिश राशि से आप क्या समझते हैं ? दोनों में अन्तर बताये।
  83. प्रश्न- शारीरिक क्रियाओं में त्वरण एवं संवेग को उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिये।
  84. प्रश्न- निम्नलिखित में से किन्हीं दो के बारे में लिखिये। (i) त्वरण (ii) वेग
  85. प्रश्न- जीव यांत्रिकी के अर्थ और क्षेत्र का विस्तापूर्वक वर्णन कीजिए।
  86. प्रश्न- संवेग एवं त्वरण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये। अथवा त्वरण पर टिप्पणी लिखिये।
  87. प्रश्न- खेलों के प्रदर्शन का मूल्यांकन क्या है? स्पष्ट कीजिये।
  88. प्रश्न- द्रव्यमान एवं भार पर टिप्पणी लिखिये।
  89. प्रश्न- शुद्ध गतिकी से आप क्या समझते हैं ?
  90. प्रश्न- शुद्ध गतिकी विज्ञान में रेखीय वेग और कोणीय वेग से आप क्या समझते हैं ?
  91. प्रश्न- दूरी और विस्थापन में अन्तर बताये ?
  92. प्रश्न- चाल और वेग में क्या अन्तर है?
  93. प्रश्न- "विराम के जड़त्व के नियम से आप क्या समझते हैं ?
  94. प्रश्न- गति के जड़त्व से आप क्या समझते हैं ?
  95. प्रश्न- त्वरण के नियम से आपका क्या अभिप्राय है ? इसे अन्य किस नाम से जाना जाता है?
  96. प्रश्न- शुद्ध गतिकी विज्ञान में किसका अध्ययन किया जाता है ?
  97. प्रश्न- जैव- यांत्रिकी का क्षेत्र स्पष्ट कीजिए।
  98. प्रश्न- गतिज विज्ञान में सन्तुलन से आप क्या समझते हैं? इसके सिद्धान्त और प्रकारों का वर्णन कीजिये?
  99. प्रश्न- बल कितने प्रकार का होता है ? यह वस्तुओं को किस प्रकार प्रभावित करता है ?
  100. प्रश्न- गति विज्ञान की आवश्यकता एवं महत्त्व को स्पष्ट कीजिये।
  101. प्रश्न- पेशीय गति विज्ञान का शारीरिक शिक्षा एवं खेल में महत्त्व स्पष्ट कीजिए।
  102. प्रश्न- ऊर्जा किसे कहते हैं ? ऊर्जा के प्रकार बतायें।
  103. प्रश्न- गुरुत्व केन्द्र से क्या अभिप्राय है ?
  104. प्रश्न- मानव शरीर में गुरुत्व केन्द्र पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखे।
  105. प्रश्न- खेलों में गुरुत्व केन्द्र की क्या आवश्कता है ?
  106. प्रश्न- बल और संवेग में क्या अन्तर है ?
  107. प्रश्न- सन्तुलित बल और असन्तुलित बल में क्या अन्तर है ?
  108. प्रश्न- गतिज विज्ञान (Kinetics) के अन्तर्गत प्रमुख रूप से किसका अध्ययन किया जाता है?
  109. प्रश्न- 'कोणीय चाल' और 'कोणीय वेग' पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  110. प्रश्न- कोणीय त्वरण क्या है ? इसका सूत्र का उल्लेख कीजिये ?
  111. प्रश्न- गतिज विज्ञान (Kinetics) से आप क्या समझते हैं?
  112. प्रश्न- रेखित गति से आपका क्या अभिप्राय है ?
  113. प्रश्न- कोणीय संवेग क्या है ?
  114. प्रश्न- द्रव्यमान (Mass) से आप क्या समझते हैं?
  115. प्रश्न- वजन (Weight) पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखे।
  116. प्रश्न- बल से आप क्या समझते हैं ?
  117. प्रश्न- गति से आपका क्या अभिप्राय है?
  118. प्रश्न- दबाव से आप क्या समझते हैं?
  119. प्रश्न- (Kinetics) और (Kinematics) में क्या अन्तर हैं ? स्पष्ट कीजिये ?
  120. प्रश्न- गति विज्ञान के नियम बताइए।

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